लाइब्रेरी में जोड़ें

दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया

मापनी-

112 112 112 112,

112 112 112 112


हरिराम कहो हरिनाथ कहो शिवनाथ कहो रघुनंदन को।

प्रिय धाम वही रचते रहते तुम देख सदा प्रिय नंदन को।


अति शांत विनम्र दयालु हरी भजते रहना सुखनंदन को।

हरि विष्णु स्वरूप सदा दिखते रह राम रमापति वन्दन को।


रह राम दुआर नहीं भटको प्रभु राम सदा शरणालय हैं।

शिव जाप किया करते रघुराम लगा  नित ध्यान शिवालय हैं।


करते नित त्याग  समर्थन हैं रहते दिखते करुणालय हैं।

वसुधाय समर्पित राम अनन्य रचा करते वरुणालय हैं।





   8
2 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:58 PM

👍👍🌺

Reply

Mahendra Bhatt

25-Jan-2023 08:31 AM

Nice

Reply